पता नहीं क्यों..

तुमने मेरी आँखों में, 
आसमान.., 
समन्दर..., 
झील.., 
किताब.., 
आईना.., 
और भी न जाने क्या क्या तो देखा.., 

पर पता नहीं क्यों.., 

'आँखें ही छोङ दीं...।'


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