तन्हाई तड़पाती है.....

जब भी तन्हा लम्हों में,  तन्हाई  तड़पाती  है 
पलकों की बाँहों से निकल तू मुझसे मिलने आती है। 

जब जब दिल ने महसूस किया, कि कोई मेरा अपना न रहा 

तब तब तू अश्क़ों में लिपटी, मेरा साथ निभाती है। 

दूर कहीं सन्नाटे में जब कोई सदा नहीं उठती

चुपके से मेरे कानों में, तब तेरी आहट आती है। 

हर बार ख़ुशी के उस दिलकश,अहसास से मैं भर जाता हूँ 

चंचल मासूम हँसी से जब तू यादों में मुस्काती है। 

नामुमकिन है तुझ बिन जीना, फिर भी खुद को समझा लूँ 

पर उस धड़कन को क्या बोलूं, तुझ बिन थम सी जाती है। 

जब भी तन्हा लम्हों में,  तन्हाई  तड़पाती  है.....






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