ME v/s ME

मुझसे बसते 2 'मैं',
वैसे ही जैसे बसते हैं सब में
आज लड़ बैठे एक दूसरे से, आपस में ही...
एक 'मैं', जो दुनियां से ज़रा ज्यादा प्रभावित है, दूसरे से बोला -
"अच्छा !!
तुम आज भी इश्क़ में यक़ीन करते हो.., भावनाओं में यक़ीन करते हो,
सच में यक़ीन करते हो ??
अबे जाओ बे...फिर तुम्हारा कुछ नहीं हो सकता..."
दूसरे 'मैं' ने पहले 'मैं' को अपनी मुहब्बत में डूबी आँखों से देखा और बोला-
"ख़ामोश...अगर मैं चला गया..,तो तुम्हारा कुछ नहीं हो सकता"
वाक़ई...कुछ नहीं हो सकता ।

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