छलकन …… दो या ढाई ही रहे होंगे.. फिर भी कहाँ संभले.... प्रहार करता वक्त .. आहत होती भावनाएं .. नियंत्रण रहित मस्तिष्क.. आवेशित ह्रदय. .. सहनशक्ति ही तो थी कब तक सहती.... टूट गयी..... और छलक पड़ीं आँखें.. दर्द के उन चंद टुकड़ों के साथ, जो संख्या में तो कुछ भी न थे.. पर वजन में बहुत ज्यादा थे... - जितेंद्र परमार
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"डिंपल" - एक कहानी
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शाम को ऑफिस से आने के बाद रोज कि तरह बालकनी में बैठ कर चाय पी रहा था, तभी मोबाइल के मैसेज बॉक्स में कुछ हलचल हुई देखा तो एक पुराने दोस्त का मैसेज था, बहुत दिनों बाद हालचाल जानने के लिए मैसेज किया था , अक्सर व्यस्ताओं कि वजह से आजकल हम लोग ऐसे ही बातें किया करते हैं, खैर पढने के बाद मैंने भी वापिस मैसेज किया और पूछा क्या नया चल रहा है लाइफ में ? तो थोड़ी देर बाद उसका कॉल ही आ गया , कुछ देर इधर उधर कि बातें करने के बाद बोला तेरे लिए एक खुशखबरी है , मैंने तुरंत पूछा शादी कर रहा है क्या ? तो हँसते हुए बोला.. “ हाँ ” ..मैंने चहकते हुए कहा .. ” बधाई हो यार... कब कर रहा है ?..भाभी कहाँ से हैं ?...और नाम क्या है भाभी का ??.......वो बीच में ही रोकते हुए बोला “ अरे सांस तो ले ले सब बताता हूँ ! उसने आगे कहा वो ग्वालियर से है , टीचर है और शादी दिसंबर में होगी और उसका नाम डिम्पल है ! मैंने उत्सुकता से पूछा डिंपल ? बोला “ हाँ ” मैंने उसे फिर से बधाई दी और फोन रख दिया पर फोन रखने के बाद मेरे दिमाग में...